विलुप्त होती कुम्हार कला को पुनर्जीवित करने के मिशन पर अदाणी फाउंडेशन

रायगढ़; 27 जनवरी 2024: अदाणी फाउंडेशन ने प्रदेश के पुसौर और डभरा ब्लॉक में स्थानीय कुम्हारों के आय संवर्धन और तेजी से लुप्त होती कला को बचाने का बीड़ा उठाया है। अदाणी पॉवर लिमिटेड, रायगढ़ के सामाजिक सहभागिता के अंतर्गत क्षेत्र के आसपास के कुम्हारों को मिट्टी द्वारा निर्मित विभिन्न कलाकृतियों की आधुनिक तकनीक, टेराकोटा कला को सिखाने द्विमासिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया है। दिसंबर 2023 से जनवरी 2024 के मध्य चलाए जा रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुसौर ब्लॉक में स्थित ग्राम तुपकधार के 12 लोगों एवं सक्ती जिले के डभरा ब्लॉक मे स्थित ग्राम चंदली के महिला स्व सहायता समूह और कुम्हार परिवार के 16 सदस्यों सहित कुल 28 लोगों ने भाग लिया। जिनमें 11 महिलाऐं भी शामिल हुई। कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य परिधीय ग्रामों के स्थानीय कलाकारों की कला को निखारकर उन्हें रोजगार मूलक गतिविधियों से जोड़कर उनके आजीविका के साधनों मे वृद्धि करना है, जिससे वे आर्थिक रूप से सक्षम हो सके।
रायगढ़ के प्रसिद्ध टेराकोटा कलाकार श्री अनन्तराम कुम्हार द्वारा इन्हें ओडिशा आर्ट से संबंधी सजावटी समान जैसे – टेराकोटा की वाटर पॉट, गमला, गणेश भगवान की मूर्ति, बस्तर मूर्ति, नारियल के दिया, डिजाइनर दिया इत्यादि समान के साथ ही घरेलू उपयोग की वस्तुएं जैसे – कप प्लेट सेट, कुकर, पानी बोतल, गिलास, मग, दही पॉट आदि सामानों के निर्माण हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रशिक्षण की अवधि के दौरान ही प्रशिक्षणार्थियों को एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण हेतु निकटवर्ती पड़ोसी राज्य ओडिसा के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त टेरकोटा कलाकार श्री मानबोध राणा के उत्पादन सह प्रशिक्षण केंद्र का भ्रमण भी कराया गया जहां पर इन सभी ने वहीं पर निर्मित किए जा रहे कलाकृतियों का बारीकी से निरीक्षण किया और निर्मित उत्पादों की मार्केटिंग के संबंध में कई जानकारियां प्राप्त की। कुम्हारों को टेराकोटा निर्मित उत्पादों को बिक्री करने पर उनकी आय में वृद्धि तो होगी ही साथ ही लुप्त होते इस कला और व्यवसाय को एक नयी गति भी मिलेगी।

क्या है टेराकोटा कला और इसकी तकनीक !

असल में लाल मिट्टी को पकाकर सजावटी सामान और घेरलु समान बनाने की कला टेराकोटा कला कहलाती है। टेराकोटा से निर्मित कलाकृतियों की मांग ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी बहुत अधिक है। इससे निर्मित वस्तुएं घर के सजावट और दैनिक उपयोग में काम आती हैं। टेराकोटा की कला का इतिहास बहुत प्राचीन है, जिसमें मिट्टी से निर्मित कलाकृतियों का निर्माण किया जाता है। इस कला की खासियत यह है कि यह कलाकृति लाल, रेतिली और चिकनी मिट्टी सहित कई अन्य चीजों को मिलाकर तैयार की जाती है और जो अंदर से खोखली होती है। इससे निर्मित उत्पाद को छांव में सुखाने के बाद लकड़ी के भूसे एवं आग के माध्यम से पकाया जाता है। इस तकनीक से बड़ी-बड़ी सजावटी सामान और मूर्तियां भी तैयार की जाती है।
अदाणी फाउंडेशन रायगढ़ जिले के तमनार तथा पुसौर ब्लॉक तथा सक्ती जिले के डभरा ब्लॉक में सामाजिक सहभागिता के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना विकास तथा आजीविका उन्नयन के कई कार्यक्रम संचालित कर रहा है, जिनमें स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य जाँच शिविरों सहित अपने मोबाईल मेडिकल वैन द्वारा मरीजों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं उनके घर तक उपलब्ध कराई जा रही है।

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