रायपुर। 26 जनवरी 1950 को देश में भारत का संविधान भागू हुआ है, जिससे जल, जंगल एवं जमीन की रक्षा के लिए अनेको कानून बनाये गये है। परन्तु आज वर्तमान समय में आदिवासियों के हित कानूनो का जिस तरह से खुल्लेयाम धज्जियाँ उडाई जा रही है यह किसी से नहीं छिपा है।
छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा में स्थित हसदेव जंगल भारत के सबसे बड़े वन क्षेत्रो मे से एक महत्वपूर्ण जंगल है। इस जंगल में कई दुर्लभ और लुप्त होती पशु-पक्षियों एवं वनस्पतियों अपने अस्तित्व की रक्षा हेतु पुकार का रही है। इसी जंगल से हसदेव नदी बहती है, जिसे छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा भी कहते हैं।
छत्तीसगढ़ एवं केन्द्र सरकार की मिली भगत से अडानी उधोगपति को लाभ पहुंचाने के लिए कोयला खदान के नाम पर हसदेव जंगल में लगातार पेड़ों की कटाई कराई जारी है। जिसका वहाँ के आदिवासी जन व छत्तीसगढ़ की जनता के द्वारा लगातार विरोध की जा रही है। लेकिन डबल इंजन की सरकार के द्वारा पेड़ों की कटाई नहीं रोकी जा रही है। हसदेव जंगल केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे भारत देश के लिए पर्यावरण की दृष्ट्रि से महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। आज के समय में जलवायु परिवर्तन के इस दौर में हसदेव जंगल को बचाना हम सभी देशप्रेमि जनता का कर्तव्य है।
आईये हम सभी देश के जल, जंगल और जमीन की रक्षा करने के लिए “हसदेव जंगल को बचाने के लिए” 26 जनवरी 2024 को हरिहरपुर धरना स्थल से पूरे सरगुजा संभाग के गाँवों को जगाने के लिए शुरु होने वाले जन जागरण पदयात्रा में शामिल होए।
26 जनवरी को हसदेव क्षेत्र से शुरु होने वाली पदयात्रा पूरे संभाग के सैकड़ों गाँवों सभी तहसील -जिला मुख्यालयों मे रैली जनजागरण कर दिनांक 20 मार्च 2024 को सरगुजा संभाग मुख्यालय में विशाल आम सभा के माध्यम से समापन होगी।