पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी द्वारा डायमंड – जेम्स – ज्वेलरी पर आधारित कोर्स के प्रेक्टिकल एवं व्यसायिक प्रशिक्षण के लिए अनमोल ज़्वेलर्स के संचालक श्री कौशिक कट्टा द्वारा प्रशिक्षण दिलाया गया।
उन्होंने बताया की हमारे ऋषि मुनियों ने प्राचीन काल में ही रत्नों के गुणों को इससे होने वाले लाभ एवं प्रभाव का वर्णन कई ग्रंथों में किया है| रत्नों में तरह तरह के रासायनों की वजह से अलग-अलग रंग प्राप्त होते हैं| जैसे हीरे में कार्बन की अधिकता तथा गोमेद में मैग्नीशियम की बहुतायत से उनमे उनके वही गुण प्राप्त होता है, हजारों डिग्री तापमान तथा दबाव में रहकर रत्नों की रचना होती है|
अब रत्न विज्ञान को आधुनिक विज्ञान भी मान्यता देने लगा है, इसीलिए ही इसे पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी द्वारा डायमंड – जेम्स – ज्वेलरी के कोर्स के रूप में सम्मिलित किया गया है, और इस विषय में अनमोल ज़्वेलर्स एवं रत्न केंद्र में यूनिवर्सिटी के छात्रों को व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
इस हेतु प्रो. एस.एस पंडित सर व अनुभवी शिल्पकार और पेशेवर व्यवसायी के माध्यम से रत्नों की दुनिया को सीखने और समझने की दिशा में फील्ड विजिट और इंटरैक्टिव विधि के रूप में छात्रों को रत्न बाजार के बारे में सिखाने और मार्गदर्शन करने के लिए अनमोल ज्वैलर्स और रत्न केंद्र के संचालक श्री कौशिक कट्टा को पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के द्वारा डायमंड – जेम्स – ज्वेलरी के छात्रों को प्रैक्टिकल रूप से शिक्षित करने के लिए आवेदन किया गया.
उनके आवेदन को सहर्ष स्वीकारते हुए अनमोल ज्वेलर्स के संचालक श्री कौशिक कट्टा ने अपने शोरूम में छात्रों को प्रेक्टिकल क्लास द्वारा रत्नों और आभूषणों की दिलचस्प व रोचक दुनिया की प्रोफेसनल, एवं रोजगारपरक विषयवार बहुमूल्य जानकारियों दी, जो भविष्य में उन्हे काम आए. साथ ही छात्रों को असली व नक़ली डायमंड की पहचान करना, उसी तरह से अन्य क़ीमती रत्नों की असली व नक़ली की पहचान करना भी सिखाया गया.
छात्रों ने पूरे सत्र में ईमानदारी से भाग लिया और प्रत्येक रत्नों की अलग-अलग उपयोगिता और आधुनिक बाजार की मांग की जानकारी ली व विभिन्न क़ीमती रत्नों की झलक देखी।
छात्रों को अनमोल ज्वैलर्स और रत्न केंद्र द्वारा रत्न बाजार में 40 वर्षों के वृहद अनुभव और ज्ञान के माध्यम से नैतिक कहानियां और पाठ दिए गए और बताया गया कि चुनौतियों को पार करते हुए व्यवसाय कैसे विकसित और अनुकूलित हुआ.
गोल्ड ज्वेलरी का इतिहास व पिछले समय में आभूषणों की डिजाइनिंग और निर्माण तथा आधुनिक समय में हुए बदलावों और आधुनिक प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. इसमे गोल्ड ज्वेलरी वर्तमान में किस तरह से बनाई जाती है, पहले के जमाने में किस तरह से कार्य होता था, इतिहास के साथ उसका संपूर्ण प्रोसेस छात्रों को सिखाया गया.
विशेष रूप से श्री कौशिक कट्टा द्वारा इसमें समय के साथ व्यापार में प्रतिस्पर्धा करने और आधुनिक दुनिया की आवश्यकता के अनुसार अपना सर्वश्रेष्ठ देने की आवश्यकता पर जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया की, चूंकि इस व्यवसाय में ऑनलाइन धोखाधड़ी बहुत अधिक होती है, इसलिए भौतिक रीटेल स्टोर हमेशा डायमंड – गोल्ड एवं रत्न खरीद के लिए सबसे बेहतर विकल्प है, साथ ही बताया की निकट भविष्य में गोल्ड ज्वेलरी एवं रत्नों के सदियों पुराने व्यवसाय का दायरा निश्चित रूप से और भी अधिक व्यापक होगा ऐसे में इस क्षेत्र में अच्छी तरह से शिक्षित और प्रशिक्षित छात्रों के लिए यह अच्छा रोजगार का अवसर बनाता है।
छात्रों को विशेष रूप से प्रशिक्षण देने के लिए अनमोल ज्वैलर्स और रत्न केंद्र को पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी की तरफ़ से धन्यवाद पत्र दिया गया।
इसमे सह-संचालक प्रतीक कट्टा को भी यूनिवर्सिटी में छात्रों को प्रशिक्षण देने हेतु आमंत्रित किया गया जिसमें उन्होंने सोने के कैरेट व उसकी जांच की विधि बताई व अन्य अनेक बहुमूल्य जानकारियाँ दी।
”अनमोल ज्वैलर्स और रत्न केंद्र, गोल्ड वैल्यूअर के रूप में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है.
”किसी भी व्यक्ति को यदि रियल डायमंड्स-रियल जेम्स- गोल्ड ज्वेलरी के विषय में किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त करनी हो तो वह अनमोल ज्वैलर्स और रत्न केंद्र में निःशुल्क प्राप्त कर सकते है.”