पहले से चल रही पीईकेबी खदान यथावत चलती रहेगी : सिंहदेव

द्वितीय चरण के लिए अब वन विभाग शुरू कर सकता है कार्रवाई
अंबिकापुर; 24 सितंबर । सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में स्थित परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) खदान में उत्पादन का कार्य जारी रहेगा। ऐसा कहना है छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और क्षेत्र के विधायक श्री टी एस सिंहदेव का। खदान बंदी और बहाली के लिए पिछले कई दिनों से चले आ रहे आंदोलन के बीच कल स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने पत्रकार वार्ता में एक बड़ा बयान दिया जिसमें उन्होंने यह साफ़ कर दिया कि हसदेव में पहले से चल रही पीईकेबी खदान में उत्पादन का कार्य यथावत जारी रहेगा। वहीं प्रस्तावित तीन नई खदानों परसा, केते एक्सटेंशन और पेन्डरखी को खोलने की अनुमति अभी राज्य सरकार नहीं देगी। उन्होंने इसमें प्रदेश के मुखिया श्री भूपेश बघेल की भी सहमति का जिक्र किया।
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को वर्ष 2007 में पीईकेबी कोल ब्लॉक का आवंटन भारत सरकार द्वारा 30 साल के लिए किया गया था। दो चरणों में खनन के लिए आवंटित इस ब्लॉक में प्रथम चरण के लिए वर्ष 2013 में वन क्षेत्र में खुली कोयला खदान परियोजना के अंतर्गत माइनिंग का कार्य शुरू किया गया था। इस खदान में लगभग 5000 से भी अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है। वहीं इससे दो गुने लोग अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न स्वरोजगारों से जुड़े हुए हैं। प्रथम चरण में खनन का कार्य अब समाप्त हो गया है।
वहीं दूसरे चरण के लिए सभी जरुरी अनुमति राज्य और केंद्र सरकार से मार्च 2022 में प्राप्त हो चुकी है। किन्तु विगत कई माह से सभी जरुरी अनुमति के बावजूद यहां खनन का कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। जिसकी वजह से आरआरवीयूएनएल की खनन और विकास प्रचालक (एमडीओ) कंपनी द्वारा कोयला लोडिंग के कुल करार को ठेका कंपनी के कार्य में कटौती करना शुरू कर दिया गया है। नतीजतन ऐसे ग्रामीण जिन्हें नोटिस मिल चूका है अब उनके सामने एक बार फिर रोजगार का मुद्दा गहराने लगा है। वे सब ग्रामीण अब सरकार से खदान को चलाये रखने की मांग कर रहे हैं।
ऐसे समय में स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान कि “पीईकेबी खदान यथावत चलती रहेगी” ने क्षेत्र के लोगों और कामगारों के बीच नई ऊर्जा और उम्मीद की किरण लेकरआया है। पिछले 20 दिनों से स्थानीय कामगार ग्राम घाटबर्रा के अभिराम, शेखर तिर्की और इनके कई साथी, ग्राम साल्हि से सुनीन्द्र उइके और बुधराम उइके तथा इनके कई साथी, ग्राम परसा के ओमप्रकाश और इनके साथी, ग्राम तारा के चितेन्द्र और इनके कई साथी तथा ग्राम फत्तेपुर के मदन सिंह और जगतपाल पोर्ते और इनके कई साथीयों ने खदान को सुचारू रूप से चलाये रखने की लिए आंदोलनरत थे इनके चेहरों पर अब खुशी झलकने लगी है।
लेकिन अब देखना यह है कि यह खदान जिसमें पिछले माह 19 अगस्त से खनन युक्त भूमि की अनुपलब्धता के कारण उत्पादन बंद करना पड़ा था वहां स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान कितना जल्दी उत्पादन शुरू करवा पाता है। इसके बाद खनन कार्य शुरू करने हेतु पूरी भूमिका अब जिला प्रशासन और वन विभाग की दिखलाई पड़ती है। कि वह अपनी कार्रवाई कब से शुरू करता है।

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