चीन से आने वाली गणेश मूर्तियां का आयात हुआ बंद -इकोफ्रैंडली गणेश मूर्तियों का चलन बढ़ा

रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे
ने बताया कि आज से देश भर में 10 दिवसीय गणेश उत्सव के साथ इस वर्ष का त्यौहारी मौसम शुरू हो गया जिससे इस बार देश भर के व्यापारियों को बड़े व्यापार की बहुत उम्मीदें हैं ! आज से ही कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ( कैट) ने देश भर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान को दोबारा शुरू किया । आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर देश भर में लोगों ने ख़ासकर व्यापारियों ने अपने अपने घरों में श्री गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की । गणपति को विघ्नहर्ता और कष्ट निवारक के रूप में जाना जाता है । कैट ने देशभर के व्यापारियों से इस वर्ष अपने अपने घरों में श्री गणेश जी की स्थापना करने का आग्रह किया था जिसको लेकर आज बड़े पैमाने पर व्यापारियों ने भी श्री गणेश के पार्थिव विग्रह की स्थापना कर देश में सुख शान्ति और व्यापार में वृद्धि की कामना की । आज से शुरू हुआ गणपति महोत्सव देश भर में आगामी 9 सितम्बर तक बहुत धूमधाम से मनाया जाएगा तथा अनंत चतुर्दशी के दिन 9 सितम्बर को गणपति जी की स्थापित मूर्तियों का विसर्जन होगा ।
कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया की एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष देश में लगभग 20 करोड़ से ज्यादा गणेश मूर्तियां खरीदी जाती हैं जिनसे अनुमानित 300 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होता है ! उन्होंने बताया की पिछले दो वर्षों से देश भर में बड़ी मात्रा में गणेश जी की ईकोफ्रेंडली मूर्तियों को स्थापित करने का चलन बहुत तेजी से बड़ा है ! इससे पहले चीन से बड़ी मात्रा में गणेश जी की प्लास्टर ऑफ़ पेरिस, स्टोन, मार्बल तथा अन्य सामान से बनी मूर्तियां सस्ती होने के कारण आयात होती थी लेकिन पिछले दो वर्षों कैट द्वारा चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान के चलते चीन से गणेश मूर्तियों का आयात बंद हो गया है और स्थानीय शहरों के शिल्पकारों, कारीगरों और घरों में काम करने वाले कुम्हार तथा उनके परिवार की महिलाएं मिटटी, एवं गोबर से गणेश जी की मूर्तियां बनाती हैं जिनका विसर्जन आसानी से हो जाता है ! उन्होंने बताया की गत दो वर्षों से ही अब ऐसी मूर्तियां बन रही हैं जिनको विसर्जित करने की बजाय पेड़-पौधों में मिलाया जाता है जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता ! इन मूर्तियों की वजह से देशभर में लाखों लोगों को कारोबार मिलता है !
कैट की संस्कृति एवं आध्यात्म कमेटी के चेयरमैन तथा विख्यात ज्योतिष आचार्य श्री दुर्गेश तारे ने बताया की गणेश चतुर्थी के त्योहार में कुछ खास चीजों का इस्तेमाल होता है. इन चीजों के बगैर गणेश चतुर्थी की पूजा अधूरी मानी जाती है जिसमें गंगाजल, धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर, मूर्ति स्थापित करने हेतु चौकी,लाल रंग का कपड़ा, दूर्वा, जनेऊ, रोली, चावल, मिट्टी का कलश, जटा वाला नारियल, फल, सुपारी, लड्डू, मौली, पंचामृत, लाल चंदन, पंचमेवा आवश्यक है जिनसे गणपति की स्थापना की जाती है !
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया की 31 अगस्त से 9 सितम्बर तक देश में गणेश उत्सव जोरदार तरीके से मनाया जाएगा जो मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ , महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना ,आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में विशेष रूप से बेहद धूमधाम से मनाया जाएगा ! इन सभी राज्यों में गणपति के बड़े पंडाल लगते हैं जहाँ बड़ी संख्यां में लोग आकर श्री गणेश जी के दर्शन करते हैं !

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