अदाणी फाउंडेशन के कौशल विकास कार्यक्रम के दर्ज़ी ट्रेनिंग प्रोग्राम का तीसरा बैच शुरू

रायगढ़। पहले दो बैचों की अपार सफलता के बाद, अदाणी कौशल विकास केंद्र ने दर्ज़ी ट्रेनिंग प्रोग्राम के तीसरे बैच के लिए इस बार 35 युवतियों के चयन किया है| 04 जनवरी से शुरू किये इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में रायगढ़ एनर्जी जनरेशन लिमिटेड (आर ई जी एल), छोटे भंडार के आस-पास के 15 गावों से चयनित युवतियों को परिचय पत्र, बैग, सिलाई किट इत्यादि भी प्रदान किया गया है | गौरतलब है,कि अदाणी कौशल विकास केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में सिलाई और कढ़ाई के प्रशिक्षण हेतु कुल 115 युवतियों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा है।
अदाणी फाउंडेशन के सी एस आर प्रमुख श्री पुर्णेन्दु कुमार ने नये बैच को संबोधित करते हुए कहा कि, “अदाणी कौशल विकास केन्द्र का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र की युवतियो एवं महिलाओ के कौशल क्षमताओ एवं उनके व्यक्तित्व का विकास करते हुए उन्हे रोजगारमूलक गतिविधयो से जोडना है, जिससे वे अपने उज्जवल भविष्य के निर्माण एवं परिवार के सपनो को साकार करने मे सक्षम हो सके।”
उल्लेखनीय है,कि अदाणी पॉवर की परियोजनाएं देश के लिए बिजली उत्पादन के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और समाज कल्याण में भी अपनी भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
इस प्रोग्राम का प्रमुख उद्देश्य युवतियों में स्व-रोजगार की भावना को बढ़ावा देना है और जुलाई से दिसंबर 2021 तक दो बैच में आसपास के 15 ग्रामों की कुल 75 महिलाओं और युवतियों की प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखंड के ग्राम बडे भंडार में अदाणी कौशल विकास कार्यक्रम के तहत सिलाई मशीनों और अन्य जरूरी उपकरणों से युक्त इस केंद्र में महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई और बुनाई का प्रशिक्षण रायगढ की श्रीमति रूपा साहू एवं उनके सहयोगी श्रीमति सोमप्रभा गोस्वामी द्वारा दिया जा रहा है। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम की अवधि तीन माह है और प्रशिक्षण के पूर्ण होने पर सभी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाता है।
सिलाई प्रशिक्षण केंद्र से आत्मनिर्भर बनीं ग्राम बड़े भंडार की गोमती सिदर ने अपने ट्रेनिंग के बारे में बात करते हुए बताया कि, “मैं अपने परिवार के आय के स्रोत्र को बढ़ाने के लिए कुछ करना चाहती थी| इसी बीच मुझे आर ई जी एल कंपनी के सी एस आर के तहत शुरू किये गए निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण के बारे में पता चला। यहाँ से प्रशिक्षण लेने के बाद अब मैं प्रति माह 3000-5000 रुपये तक कमा लेती हूँ|” तीन बहनों और दो भाइयों में सबसे बड़ी गोमती अब अपने पुरे गांव के लिए प्रेरणा का स्रोत्र बन गयी है|
सुपा गांव की रहने वाली लीना भारद्वाज ने बताया, “मेरे पिता एक किसान थे, लेकिन कुछ दिनों पहले लकवा हो जाने के कारण, अब वो खेती नहीं कर पा रहे थे| घर की बिगड़ती आर्थिक स्थिति की वजह से मैं अपना पोस्ट ग्रेजुएशन भी पूरी नहीं कर पाई। इस बीच मुझे इस दर्ज़ी ट्रेनिंग के बारे में पता चला और अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद अब मैं आत्मनिर्भर बन कर अपने माता पिता की भी देखभाल कर पा रही हूँ.”
केन्द्र में प्रशिक्षण के दौरान कोविड -19 महामारी से बचाव एवं सावधानी संबंधी समस्त दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से पालन कराया जा रहा है।

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