जीएसटी के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में कर संग्रहण में चुनौतियां एवं सुझाव संबंधी बैठक में छत्तीसगढ़ चेम्बर ने आयुक्त, राज्य कर को जीएसटी सरलीकरण संबंधी दिये सुझाव

रायपुर। छत्तीसगढ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी,विक्रम सिंहदेव,राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि आज शुक्रवार को आयुक्त, राज्य कर को जीएसटी के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में कर संग्रहण में चुनौतियां एवं सुझाव संबंधी बैठक में छत्तीसगढ़ चेम्बर द्वारा कर प्रणाली सरल एवं सुगम होने के संबंध में सुझाव दिया गया।
बैठक में प्रमुख रूप से श्री भीमसिंह आयुक्त राज्य कर, टी एल ध्रुव अपर कमिश्नर, सोनल मिश्रा जॉइंट कमिश्नर रायपुर संभाग-1, नीलम तिग्गा जॉइंट कमिश्नर रायपुर संभाग-2 उपस्थित थे।
चेम्बर के प्रतिनिधि मंडल ने जीएसटी में हुए संशोधन की वजह से व्यापारियों को आ रही तकलीफों के संबंध में आयुक्त राज्यकर से मुलाकात कर चर्चा की एवं चेम्बर द्वारा ज्ञापन सौंपकर उन्हें अवगत कराया।
चर्चा के पश्चात् आयुक्त ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि दीपावली के पश्चात बैठक लेकर जीएसटी में व्यापारियों को आ रही तकलीफों एवं जीएसटी में संशोधन की जानकारी हेतु प्रत्येक जगह पर केम्प लगाया जायेगा साथ ही एक हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया जायेगा।
अमर पारवानी ने पत्र के माध्यम से बताया कि कर प्रणाली सरल एवं सुगम होना चाहिये एवं कर की दरों में युक्तियुक्त होना चाहिये । जीएसटी सरलीकरण एवं विसंगतियों को दूर करने औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों से प्राप्त सुझाव निम्नानुसार हैः-
कर प्रणाली सरल एवं सुगम होने के संबंध में सुझाव:-
ऽ इनपुट टेक्स क्रेडिट जीएसटीआर 2बी के आधार पर मान्य होने
ऽ एक ही लेनदेन पर दो दो बार ब्याज
ऽ विक्रेता पर ही कार्यवाही की जानी चाहिए
ऽ जीएसटी प्रणाली में ब्याज की गणना के प्रावधान को बदलने बाबत
नियम 21 जीएसटी पंजीकरण का निलंबन/निरस्तीकरण
ऽ ई-इनवॉइसिंग के 1 अक्टूबर 2022 से रु. 10 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यापारियांे पर लागु किए गए प्रावधान वापस लेने बाबत
ऽ ई-वे बिल की वैधता अवधि में 50 प्रतिशत की कटौती
ऽ ई-इनवॉइसिंग की स्थिति में खरीददार को इनपुट अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए
ऽ छुटे हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेन एवं वार्षिक विवरण पत्र में संशोधन किए जाने हेतु अवसर प्रदान करने बाबत्
ऽ जीएसटी वार्षिक विवरण के सम्बंध में सुझाव
ऽ ब्याज, पेनाल्टी एवं विलंब शुल्क से छुट प्रदान करने हेतु
ऽ जीएसटी का रजिस्टेªशन संरेडर करने बाबत
ऽ माल के परिवहन एवं ई-वे बिल सम्बंधित समस्याएं
ऽ रिटर्न सम्बंधित अन्य समस्याएं
ऽ जीएसटी के प्रावधानों में सुधार हेतु अन्य सुझाव
ऽ व्यवसाय को राहत देने एवं इज आॅफ डुईंग हेतु सुझाव
कर की दरें युक्तियुक्त होने के संबंध में सुझाव:-
ऽ एक व्यवसाय एक कर
ऽ स्टेशनरी व्यवसाय पर जीएसटी का स्लेब एक ही दर में रखने के संबंध में
ऽ प्र्रक्रिया को केन्द्रीकृत करें
ऽ हेल्प डेस्क क्रियात्मक से संबंधित हर अधिकार दिया जाए

चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष श्री पारवानी ने आयुक्त, राज्य कर को जानकारी दी कि वर्तमान में प्रदेश में पंजीकृत व्यापारियों की संख्या में 74% की वृद्धि हुई है ।
जीएसटी प्रणाली में 5 वर्ष तक क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान बंद होने से राज्य को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये अतिरिक्त राजस्व वसूला जा रहा है जिसका पूरा भर प्रदेश के व्यवसायों पर पड़ रहा है।
व्यापारी वर्ग जीएसटी की दरों से जितना परेशान नहीं हंै उससे अधिक परेशान जीएसटी में परिवर्तन की दरों (जीएसटी के प्रावधानों में निरंतर हो रहे संशोधनों) से हंै । अतः यह सुनिश्चित किया जाए कि जीएसटी के प्रावधानों में संशोधन कम हो एवं संशोधन वित्तीय वर्ष के प्रारंभ से ही लागू हो। साथ ही व्यवसायी वर्ग को किसी भी जीएसटी संशोधन को लागू करने की सूचना कम से कम 3 माह पूर्व प्रदान की जावे जिससे कि वह अपनी कार्यप्रणाली एवं साफ्टवेयर इत्यादि में आवश्यक परिवर्तन कर सके।
श्री पारवानी ने आयुक्त, राज्य कर से निवेदन किया कि व्यापार एवं उद्योग के हित मंे तथा जीएसटी के सरलीकरण के दिशा में उपरोक्त सुझावों को जीएसटी काउंसिल में रखते हुए सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।
प्रतिनिधि मंडल में चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी, राम मंधान,उपाध्यक्ष-हीरा माखीजा, मनोज जैन, सुरेश भंसाली, मंत्री-राजेन्द्र खटवानी, लोकेश साहू, शंकर बजाज, जितेन्द्र गोलछा जैन, नीलेश मूंदड़ा, जवाहर थौरानी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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