परसा कोयला खदान के लिए वन भूमि डायवर्सन को राज्य सरकार द्वारा दी गई अनुमति और अडानी कंपनी द्वारा शुरू किये गए खनन कार्यों का हसदेव के आदिवासी कर रहे है पुरजोर विरोध

रायपुर। हसदेव अरण्य में हाल ही में परसा खदान को भूपेश सरकार द्वारा दी गई वन स्वीकृति का पुरजोर विरोध करते हुए ग्रामीण सडकों पर उतर आये है। राज्य सरकार के इस फैसले और अडानी कंपनी के द्वारा जबरन खनन का कार्य शुरू करवाए जाने से यहाँ के आदिवासी समुदाय में बहुत आक्रोश है।
2 मार्च, 2022 से ही लगातार परसा खदान प्रभावित गाँव हरिहरपुर में लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है| यह प्रदर्शन लोगों ने इसलिए शुरू किया क्योंकि जिन फर्जी ग्राम सभा दस्तावेजों के आधार पर ये वन स्वीकृति हासिल की गई है इसका लोग लगातार विरोध कर रहे है और जिला दंडाधिकारी, पुलिस प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री, वन मंत्री, केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय दिल्ली, और माननीय राज्यपाल तक को इस संबंध में अपने पत्र प्रेषित कर कार्यवाही की गुहार लगाईं है।
अपने जल जंगल जमीन को बचाए रखने के संकल्प के साथ पिछले एक दशक से हसदेव की ग्राम सभाओं ने सतत संघर्ष किया है| 2019 में भी इस खदान के विरोध में फत्तेपुर गाँव में लोगों ने 73 दिन लगातार आन्दोलन किया था।
अक्टूबर 2021 में हसदेव से सैंकड़ों की तादाद में आदिवासियों ने मदन पुर से लेकर रायपुर तक 300 किलोमीटर की पदयात्रा की| मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिले और फर्जी ग्राम सभा की जांच का आश्वासन भी मिला।
इसके बावजूद भी आज तक लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन को रोकने और उन्हें न्याय दिलाने की ज़हमत किसी ने नहीं उठाई| माननीय राज्यपाल द्वारा फर्जी ग्राम सभा की जांच आदेशित किये जाने के बाद भी राज्य सरकार ने कोई जांच नहीं की, इसके विपरीत इस परियोजना जिसकी स्वीकृति के लिए कंपनी और प्रशासन ने मिल कर संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों, पेसा कानून, 1996 तथा वन अधिकार कानून 2006 के तहत ग्राम सभा से जुड़े नियमों का घोर उल्लंघन करके इस परियोजना के लिए स्वीकृति का रास्ता तैयार किया है।
जिस तरह से केंद्र और राज्य की सरकार कॉर्पोरेट हितों को साधने के लिए कार्य कर रही है और लगातार प्रभावित आदिवासी समुदाय के पक्षों को अनसुना किया जा रहा है इस से लोगों के बहुत आक्रोश है। लोगों में सरकार और कम्पनी के प्रति जो नाराज़गी है वो बढ़ रही है और आन्दोलन तेज़ होने का ऐलान हो चूका है। भारी संख्या में लोग परसा खदान के खुलने का विरोध करने के लिए सड़कों पर आ गए है और अपनी तरफ से उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि “कागज़ और स्वीकृति तुम्हारी है लेकिन ज़मीन हमारी है और हमारी ही रहेगी”।

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