वित्तीय वर्ष के आखिरी हफ्ते में बैकिंग हड़ताल, प्रदेश में रोजाना 2500 करोड़ के व्यापार का नुकसान, चेम्बर ने केंद्रीय वित्तमंत्री को चिठ्ठी लिखकर जताई समस्या

रायपुर। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेशाध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र जग्गी, विक्रम सिंहदेव, राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि वित्तीय वर्ष समाप्ति के अंतिम सप्ताह में बैंकिंग हड़ताल की वजह से प्रदेशभर में रोजाना 2000 से 2500 करोड़ से अधिक के व्यापार का नुकसान हो रहा है। मार्च क्लोजिंग का समय है इसमें बैंक बंद होने से टैक्स पटाने मंे भी समस्या हो रही है। चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने इस संबंध में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को चिठ्ठी लिखकर समस्याओं से अवगत कराया है।
चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष श्री अमर पारवानी ने कहा कि बैंकिंग संस्थान वित्तीय वर्ष की अंतिम तिथि में हड़ताल एवं अन्य कारणों के चलते लगातार बंद चल रहे हैं, जिससे दैनिक व्यापार करने वाले व्यापारियों को कैश जमा करने, चेक क्लियरिंग करवाने जैसे अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डिजिटल तरीके से लेन-देन करने वालों में से एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो अपने दैनिक कारोबार का कैश जमा करने हेतु बैंकों पर निर्भर हैं। रोजाना लगभग 2000 से 2500 करोड़ रुपए का लेनदेन प्रभावित हो रहा है एवं बाजार में मुद्रा की कमी होती जा रही है, जिससे व्यापार और व्यवसाय पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। केन्द्र एवं राज्य के विभिन्न कर जैसे- नगर निगम का टैक्स एवं इंकम टैक्स पटाने, रजिस्ट्री आदि कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं लेन देन में आ रही बाधाओं के कारण व्यवसायियों में मानसिक तनाव उत्पन्न् हो रहा है जो परिवार, समाज और व्यापार तीनों के लिए हानिकारक है।
श्री पारवानी ने आगे कहा कि मार्च के अंतिम सप्ताह व अप्रैल के पहले सप्ताह में अवकाश होने के कारण बैंकिंग कार्यांे के लिए दिक्कत होगी। इस दौरान आम दिनों की तुलना में 25 फीसदी अधिक कारोबार होता है। चूंकि पूर्व में भी ऐसी परिस्थितियों में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा व्यापारियों एवं उपभोक्ताओं के लिये सहयोग प्रदान किया गया है। अतः वित्तमंत्री से अनुरोध है कि अवकाश अवधि में आवश्यक सेवा के अंतर्गत बैंकों में 31 मार्च तक काम के 2-3 अतिरिक्त घंटे बढ़ाने की व्यवस्था करवाने हेतु सभी बैंकों को आवश्यक निर्देश जारी करने का कष्ट करेंगे, जिससे कि व्यापारी एवं उद्योगपति तथा आम नागरिकों को बैंकों से राशि आहरण करने एवं जमा करने में कठिनाई ना हो।

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