क्रांतिकारी बिरसा मुंडा देश के गौरव – प्रोफेसर नेमा

जगदलपुर । शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रोफेसर शरद नेमा ने कहा है कि आजादी की लड़ाई में शहीद बिरसा मुंडा के योगदान को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। वे 15 नवंबर 2022 को मानवविज्ञान एवं जनजातीय अध्ययन शाला द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तहत संयुक्त रूप से क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। ज्ञात हो कि बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को देशभर में मनाया जा रहा है।
मुख्य अतिथि की आसंदी से कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रोफेसर नेमा ने आगे कहा कि ब्रिटिश काल में विद्रोह का झंडा बुलंद करना कोई सहज कार्य नहीं हो सकता। लेकिन अपने अधिकारों के लिए दमन झेलते हुए भी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा ने देश की आजादी के लिए एक मिसाल देशवासियों के सामने प्रस्तुत की थी जो आज भी प्रेरणादाई है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ सुकीर्ति तिर्की ने क्रांतिकारी बिरसा मुंडा जी के संघर्षमय जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 15 नवंबर 1874 को रांची के निकट जन्मे बिरसा मुंडा ने न केवल देश की आजादी में अपना योगदान दर्ज कराया बल्कि धार्मिक एवं सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध भी आवाज बुलंद की। सन उन्नीस सौ में मुंडा जनजातियों को गोलबंद कर उनके द्वारा छेड़े गए आंदोलन पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। इस आंदोलन के बाद ही अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया था जिसके बाद उनकी मौत हो गई । विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार श्री डी. सी. गावडे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिरसा मुंडा को सबसे बडा समाज सुधारक निरूपित किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ संजीवन कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि आदिवासी समाज के लिए आज गर्व का दिन है। वास्तव में आदिम समाज में क्रांतिकारी भरे पड़े हैं। क्रांतिकारी बिरसा मुंडा समाज में भगवान की तरह इसलिए पूजे जाते थे क्योंकि उनके स्पर्श मात्र से बीमार व्यक्ति स्वस्थ हो जाता था।
कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर स्वपन कुमार कोले ने उपस्थित जनों एवं मुख्य अतिथि के प्रति आभार प्रकट करते हुए बताया कि जनजातीय आंदोलन पर उन्होंने भी लेखन का कार्य किया है। कार्यक्रम की सफलता के लिए उन्होंने सर्व संबिधतो के प्रति आभार भी प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन अतिथि व्याख्याता श्री राम चंद्र साहू ने किया।

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